सूर्यमुखी...........
सूर्यमुखी जब तक पूरा फूल खिल कर, बीज पक नहीं जाता, इसका भव्य फूल एक राजा की तरह सूर्य की ओर सिर घुमाए बड़ी शान से एकदम सीधा, अकड़ा सा खड़ा रहता है। पक जाने पर इसके बीज चिलगोजे की तरह भून कर बहुत शौक़ से खाए जाते हैं। हृदय रोग विशेषज्ञों के अनुसार सूर्यमुखी का तेल अत्यंत स्वास्थ्यवर्धक होता है.
- सूरजमुखी के पौधे रोग उत्पन्न करने वाली आर्द्र तथा दुर्गन्धयुक्त वायु का शोषण करने की क्षमता रखते है.
- इसके पौधे रोपने से वायु शुद्ध होती है और मलेरिया ज्वर , संधिवात ,तथा आर्द्रता से उत्पन्न होने वाली व्याधियां नष्ट हो जाती है.
- यह वात और बलगम को खत्म करता है।
- इसके पंचाग के अल्कोहल सत्त्व में कैसर विरोधी क्रिया पाई जाती है।
- यह जलन, पाचन, दर्द और पेट के कीडों को नष्ट करता है।
- सूर्यमुखी के फूल की पंखुड़ियां रंग बनाने के काम भी आती हैं।
- तीनों तरह के सूरजमुखी - सफ़ेद , बैंगनी और पीले - स्थानिक प्रयोग से राई की तरह क्रिया करते हैं, ये शरीर की जलन को खत्म करता है, उत्तेजक, पूतिहर, वेदना स्थापना है.
- इसके पंचांग के अल्कोहल सत्व में केंसर विरोधी क्रिया पाई जाती है.
- इसके पत्तों के रस में इसके बीज कूटकर कपाल पर लेप लगाने से आधा शीशी का दर्द ठीक होता है.
- बच्चों के पेट में दर्द होने पर दूध में इसके फूलों के रस की दस बूंदें दाल कर पिलायें .
- इसके बीजों का तेल नाभि में लगाने से पेट साफ़ होता है.
- १-३ ग्राम सूरजमुखी के बीज खाने से कृमि नष्ट होती है.
- फोड़े होने पर इसके पत्ते बाँधने से लाभ होता है.
- इसके १५ ग्राम बीजों को पीसकर पिलाने से सब प्रकार का विष उतरता है.
- इसका क्वाथ पिने से ज्वर में लाभ होता है.
- श्वास रोग में इसके पंचांग का चूर्ण ,त्रिकटू , दूध घी के साथ पी कर फिर चावल और घी खिलाने से लाभ होता है.
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