शिव पूजा विधि से सम्बंधित 5 विशेष तथ्य शिवपुराण से...
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1. शिवलिंग पर चढ़ी हुई भोग सामग्री प्रसाद रूप से ग्रहण नहीं करनी चाहिये क्योंकि उस पर शिवजी के गण चंड का अधिकार होता है.
2. शिवलिंग के पास भूमि पर चढ़ाई हुई सामग्री प्रसाद रूप से लेनी चाहिये. इसमें कोई दोष नहीं होता. यही शिव नैवेद्य कहलाता है. यह शिव नैवेद्य (प्रसाद) अपने सम्पूर्ण परिवार में बाँटना चाहिये.
3. शिवलिंग की पूजा के लिये मंत्र “ॐ” होता है और इसका जप भौंहों के बीच आज्ञा चक्र में किया जाता है. जबकि शिवजी के सगुण रूप की पूजा के लिये मंत्र “ॐ नमः शिवाय” होता है और इसका जप ह्रदय में अनाहत चक्र पर करना चाहिये.
4. शिवलिंग शिवजी के निराकार रूप का प्रतीक है. अनंत ऊँचाई के प्रकाश स्तम्भ के रूप में भगवान् शिव प्रकट हुए थे. उसी के प्रतीक के रूप में शिवलिंग की पूजा की जाती है.
5.शिवलिंग/शिव पूजा में इन 5 वस्तुओं का सबसे अधिक महत्त्व है
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बिल्व पत्र :- शिवलिंग पर या शिवजी को बिल्व पत्र अवश्य चढ़ाना चाहिये.
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रुद्राक्ष :- शिवलिंग पर या शिवजी को रुद्राक्ष अवश्य चढ़ाना चाहिये.
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भस्म :- शिवलिंग पर या शिवजी को भस्म अवश्य अर्पित करनी चाहिये.
त्रिपुण्ड्र :- शिवलिंग पर भस्म या अष्टगंध से त्रिपुण्ड्र अवश्य लगाना चाहिये.
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नाम जप :- ॐ या ॐ नमः शिवाय का जप अवश्य करना चाहिये.
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शिव पुराण के अनुसार इन विशेष बातों का ध्यान रखते हुए की गई शिव पूजा महान फल प्रदान करती है.
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