Tuesday, June 27, 2017

*_प्लेट में खाना छोड़ने से पहले रतन टाटा का ये संदेश ज़रूर पढ़ें!_*

*_प्लेट में खाना छोड़ने से पहले रतन टाटा का ये संदेश ज़रूर पढ़ें!_*

*_दुनिया के जाने-माने industrialist Ratan Tata ने अपनी एक Tweet के माध्यम से एक बहुत ही inspirational incident share किया था। आज मैं उसी ट्वीट का हिंदी अनुवाद आपसे शेयर कर रहा हूँ :_*

_पैसा आपका है लेकिन संसाधन समाज के हैं!_

_जर्मनी एक highly industrialized देश है। ऐसे देश में, बहुत से लोग सोचेंगे कि वहां के लोग बड़ी luxurious लाइफ जीते होंगे।_

_जब हम हैम्बर्ग पहुंचे, मेरे कलीग्स एक रेस्टोरेंट में घुस गए, हमने देखा कि बहुत से टेबल खाली थे। वहां एक टेबल था जहाँ एक यंग कपल खाना खा रहा था। टेबल पर बस दो dishes और beer की दो bottles थीं। मैं सोच रहा था कि क्या ऐसा सिंपल खाना रोमांटिक हो सकता है, और क्या वो लड़की इस कंजूस लड़के को छोड़ेगी!_

_एक दूसरी टेबल पर कुछ बूढी औरतें भी थीं। जब कोई डिश सर्व की जाती तो वेटर सभी लोगों की प्लेट में खाना निकाल देता, और वो औरतें प्लेट में मौजूद खाने को पूरी तरह से ख़तम कर देतीं।_

_चूँकि हम भूखे थे तो हमारे लोकल कलीग ने हमारे लिए काफी कुछ आर्डर कर दिया। जब हमने खाना ख़तम किया तो भी लगभग एक-तिहाई खाना टेबल पर बचा हुआ था।_

_जब हम restaurant से निकल रहे थे, तो उन बूढी औरतों ने हमसे अंग्रेजी में बात की, हम समझ गए कि वे हमारे इतना अधिक खाना waste करने से नाराज़ थीं।_

_” हमने अपने खाने के पैसे चुका दिए हैं, हम कितना खाना छोड़ते हैं इससे आपका कोई लेना-देना नहीं है।”, मेरा कलीग उन बूढी औरतों से बोला। वे औरतें बहुत गुस्से में आ गयीं। उनमे से एक ने तुरंत अपना फ़ोन निकला और किसी को कॉल की। कुछ देर बाद, Social Security Organisation का कोई आदमी अपनी यूनिफार्म में पहुंचा। मामला समझने के बाद उसने हमारे ऊपर 50 Euro का fine लगा दिया। हम चुप थे।_

_ऑफिसर हमसे कठोर आवाज़ में बोला, “उतना ही order करिए जितना आप consume कर सकें, पैसा आपका है लेकिन संसाधन सोसाइटी के हैं। दुनिया में ऐसे बहुत से लोग हैं जो संसाधनों की कमी का सामना कर रहे हैं। आपके पास संसाधनों को बर्वाद करने का कोई कारण नहीं है।”_

_इस rich country के लोगों का mindset हम सभी को लज्जित करता है। हमे सचमुच इस पर सोचना चाहिए। हम ऐसे देश से हैं जो संसाधनों में बहुत समृद्ध नहीं है। शर्मिंदगी से बचने के लिए हम बहुत अधिक मात्रा में आर्डर कर देते हैं और दूसरों को treat देने में बहुत सा food waste कर देते हैं।_

_The Lesson Is – अपनी खराब आदतों को बदलने के बारे में गम्भीरता से सोचें। Expecting acknowledgement, कि आप ये मैसेज पढ़ें और अपने कॉन्टेक्ट्स को फॉरवर्ड करें।_

_Very True- “MONEY IS YOURS BUT RESOURCES BELONG TO THE SOCIETY / पैसा आपका है लेकिन संसाधन समाज के हैं।”_

_दोस्तों, कोई देश महान तब बनता है जब उसके नागरिक महान बनते हैं। और महान बनना सिर्फ बड़ी-बड़ी achievements हासिल करना नही है…महान बनना हर वो छोटे-छोटे काम करना है जिससे देश मजबूत बनता है आगे बढ़ता है। खाने की बर्बादी रोकना, पानी को waste होने से बचाना, बिजली को बेकार ना करना…ये छोटे-छोटे कदम हैं जो देश को मजबूत बनाते हैं।_

_*99 प्रतिशत इसे नहीँ भेजेंगे | आप भेजेंगे ? जब हम चुटकुले भेज सकते हैं | तो ये मेसेज क्योँ नहीँ ? आशा करता हूँ कि आप करेंगें!*_

*_धन्यवाद।_*

Monday, June 19, 2017

सदैव माता  पिता का सम्मान करें*

*बूढ़ा पिता अपने IAS बेटे के चेंबर में  जाकर उसके कंधे पर हाथ रख कर खड़ा हो गया !*

*और प्यार से अपने पुत्र से पूछा...*

*"इस दुनिया का सबसे शक्तिशाली इंसान कौन है"?*

*पुत्र ने पिता को बड़े प्यार से हंसते हुए कहा "मेरे अलावा कौन हो सकता है पिताजी "!*

*पिता को इस जवाब की  आशा नहीं थी, उसे विश्वास था कि उसका बेटा गर्व से कहेगा पिताजी इस दुनिया के सब से शक्तिशाली इंसान आप हैैं, जिन्होंने मुझे इतना योग्य बनाया !*

*उनकी आँखे छलछला आई !*
*वो चेंबर के गेट को खोल कर बाहर निकलने लगे !*

*उन्होंने एक बार पीछे मुड़ कर पुनः बेटे से पूछा एक बार फिर बताओ इस दुनिया का सब से शक्तिशाली इंसान कौन है ???*

       *पुत्र ने  इस बार कहा...*
         *"पिताजी आप हैैं,*
       *इस दुनिया के सब से*
        *शक्तिशाली इंसान "!*

*पिता सुनकर आश्चर्यचकित हो गए उन्होंने कहा "अभी तो तुम अपने आप को इस दुनिया का सब से शक्तिशाली इंसान बता रहे थे अब तुम मुझे बता रहे हो " ???*

*पुत्र ने हंसते हुए उन्हें अपने सामने बिठाते  हुए कहा ..*

*"पिताजी उस समय आप का हाथ मेरे कंधे पर था, जिस पुत्र के कंधे पर या सिर पर पिता का हाथ हो वो पुत्र तो दुनिया का सबसे शक्तिशाली इंसान ही होगा ना,,,,,*

*बोलिए पिताजी"  !*

*पिता की आँखे भर आई उन्होंने अपने पुत्र को कस कर के अपने गले लगा लिया !*
                      👵🏼👳🏼
🙏🏼 *सदैव माता  पिता का सम्मान करें* 🙏🏼

Wednesday, June 7, 2017

जात,, पात,,,सब,,भृम है,,,

#शहीद_भगत_सिंह की बैरक की साफ-सफाई करने वाले 'भंगी' का नाम बोघा था।
भगत सिंह उसको बेबे (मां) कहकर बुलाते थे।
जब कोई पूछता कि भगत सिंह ये भंगी बोघा तेरी बेबे कैसे हुआ ?
तब भगत सिंह कहता, " मेरा मल-मूत्र या तो मेरी बेबे ने उठाया, या इस भले पुरूष बोघे ने।
बोघे में मैं अपनी बेबे(मां) देखता हूं। ये मेरी बेबे ही है"
यह कहकर भगत सिंह बोघे को अपनी बाहों में भर लेता।
भगत सिंह जी अक्सर बोघा से कहते,
"बेबे मैं तेरे हाथों की रोटी खाना चाहता हूँ।"
पर बोघा अपनी जाति को याद करके झिझक जाता
और कहता-
"भगत सिंह तू ऊँची जात का # जाट_सरदार ,
और मैं एक अदना सा # भंगी ,
भगतां तू रहने दे, ज़िद न कर।"
सरदार भगत सिंह भी अपनी ज़िद के पक्के थे ,
फांसी से कुछ दिन पहले जिद करके उन्होंने
बोघे को कहा "बेबे अब तो हम चन्द दिन के मेहमान हैं, अब तो इच्छा पूरी कर दे!"
बोघे की आँखों में आंसू बह चले। रोते-रोते उसने खुद अपने हाथों से उस वीर शहीद ए आजम के लिए रोटिया बनाई, और फेर अपने हाथों से ही खिलाई।
और मित्रो भगत सिह के मुंह में रोटी का गास डालते ही बोघे की रुलाई फूट पड़ी।
"ओए भगतां, ओए मेरे शेरा, धन्य है तेरी मां, जिसने तुझे जन्म दिया।
भगत सिंह ने बोघे को अपनी बाहों में भर लिया।
ऐसी सोच के मालिक थे अपने वीर सरदार भगत सिंह जी ....।
परन्तु आज की गन्दी सियासत ने जाति के नाम पर बाँटकर रख दिया उस महान शहीदे आजम के इस देश को,
मित्रो क्या सच मे हम लोग इतने बेईमान हो गए कि उस भगत सिंह की तस्वीर के नीचे बैठकर ही उसके सिद्धांतों और विचारों का बलात्कार कर रहे हैं,
हे ईश्वर मेरे इस मुल्क को सदबुद्धि देना,
इसकी रक्षा करना।
जय हिन्द
इंकलाब जिंदाबाद......
साभार श्री नरेंद्र चौधरी जी ||