Tuesday, February 12, 2019
✍🏿बड़ी दौड़ धुप के बाद वो आज ऑफिस पहुंचा, उसका पहला इंटरव्यू था.घर से निकलते हुए वो सोच रहा था, काश ! इंटरव्यू में आज कामयाब हो गया तो अपने पुश्तैनी मकान को अलविदा कहकर यही शहर में सैटल हो जाऊंगा, मम्मी,डैडी की रोज़ की किरकिर, मग़जमारी से छुटकारा हासिल हो जायेगा. सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक होने वाली किरकिर से बेज़ार हो गया हूँ. जब नहाने की तैयारी करो तो पहले बिस्तर दुरुस्त करो फिर बाथरूम जाओ, बाथरूम से निकलो तो फरमान जारी होता है "नल बंद कर दिया?" "तौलिया सही जगह रखा या यूँ ही फेंक दिया?" नाश्ता करके घर से निकलो तो डांट पडती है "पंखा बंद किया या चल रहा है?" क्या- क्या सुनें यार, नौकरी मिले तो घर छोड़ दूंगा.. ऑफिस में बुहत सारे उम्मीद्वार बैठे थे, बॉस का इंतज़ार कर रहे थे. दस बज गए, उसने देखा पैसेज की बत्ती अभी तक जल रही है,माँ याद आ गई तो बत्ती बुझा दी,ऑफिस के दरवाज़े पर कोई नहीं था,बग़ल में रखे वाटर कूलर से पानी टपक रहा था,डैडी की डांट याद आ गयी, बोर्ड पर लिखा था इंटरव्यू दूसरी मंज़िल पर होगा. सीढ़ी की लाइट भी जल रही थी,बंद करके आगे बढ़ा तो एक कुर्सी रास्ते में थी,उसे हटाकर ऊपर गया,देखा पहले से मौजूद उम्मीद्वार जाते और फ़ौरन बाहर आते, पता किया तो मालुम हुआ बॉस फाइल लेकर कुछ पूछते नहीं,वापस भेज देते हैं. मेरा नंबर आने पर मैंने फाइल मैनेजर की तरफ बढ़ा दी.कागज़ात पर नज़र दौडाने के बाद उन्होंने कहा "कब ज्वाइन कर रहे हो?" उनके सवाल से मुझे यूँ लगा जैसे मज़ाक़ हो. वो मेरा चेहरा देखकर कहने लगा ये मज़ाक़ नहीं हक़ीक़त है. आज के इंटरव्यू में किसी से कुछ पूछा ही नहीं,सिर्फ CCTV में सबका बर्ताव देखा,सब आये लेकिन किसी ने नल या लाइट बंद नहीं किया. मुबारकबाद के मुस्तहक है तुम्हारे माँ बाप जिन्होंने तुम्हारी इतनी अच्छी परवरिश की और अच्छे संस्कार दिए. जिस इंसान के पास Self Discipline नहीं वो चाहे कितना भी होश्यार और चालाक हो, मैनेजमेंट और ज़िन्दगी की दौड़ धुप में कामयाब नहीं होसकता. घर पहुंचकर मम्मी डैडी को गले लगाया और उनसे माफ़ी मांगकर उनका शुक्रिया अदा किया, अपनी ज़िन्दगी की आज़मायिश में उनकी छोटी छोटी बातों पर रोकने और टोकने से मुझे जो सबक़ हासिल हुआ उसके मुक़ाबिल मेरे डिग्री की कोई हैसियत नहीं थी और पता चला ज़िन्दगी के मुक़ाबले में सिर्फ तालीम ही नहीं तहज़ीब और संस्कार का भी अपना मक़ाम है...✍🏿 एक लाईन... "घर की इस बार मुकम्मल मे तलाशी लूँगा, गम छुपा कर मेरे माँ-बाप कहाँ रखते थे…😊😊
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