Friday, May 25, 2018

हिंदू पंचांग के दूसरे महीने का नाम वैशाख है। पुराणों के अनुसार, इस महीने में जल दान करने यानी प्यासों को पानी पिलाने से भगवान विष्णु, ब्रह्मा व शिव तीनों प्रसन्न हो जाते हैं। इस बार वैशाख मास का प्रारंभ 16अप्रैल, सोमवार से हो रहा है, इस महीने के बारे में धर्म ग्रंथों में लिखा है कि- . *न माधवसमो मासों न कृतेन युगं समम्।* *न च वेदसमं शास्त्रं न तीर्थं गंगया समम्।।* (स्कंदपुराण, वै. वै. मा. 2/1) . अर्थात वैशाख के समान कोई महीना नहीं है, सत्ययुग के समान कोई युग नहीं है, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगाजी के समान कोई तीर्थ नहीं है। . धर्म ग्रंथों के अनुसार स्वयं ब्रह्माजी ने वैशाख को सब मासों से उत्तम मास बताया है। भगवान विष्णु को प्रसन्न करने वाला इसके समान दूसरा कोई मास नहीं है। जो वैशाख मास में सूर्योदय से पहले स्नान करता है, उससे भगवान विष्णु विशेष स्नेह करते हैं। सभी दानों से जो पुण्य होता है और सब तीर्थों में जो फल मिलता है, उसी को मनुष्य वैशाख मास में केवल जलदान करके प्राप्त कर लेता है। . धर्म ग्रंथों के अनुसार, जो इस मास में जलदान नहीं कर सकता यदि वह दूसरों को जलदान का महत्व समझाए, तो भी उसे श्रेष्ठ फल प्राप्त होता है। जो मनुष्य इस मास में प्याऊ लगाता है, वह विष्णु लोक में स्थान पाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि जिसने वैशाख मास में प्याऊ लगाकर थके-मांदे मनुष्यों को संतुष्ट किया है, उसने ब्रह्मा, विष्णु और शिव आदि देवताओं को संतुष्ट कर लिया।

हिंदू पंचांग के दूसरे महीने का नाम वैशाख है। पुराणों के अनुसार, इस महीने में जल दान करने यानी प्यासों को पानी पिलाने से भगवान विष्णु, ब्रह्मा व शिव तीनों प्रसन्न हो जाते हैं। इस बार वैशाख मास का प्रारंभ 16अप्रैल, सोमवार से हो रहा है, इस महीने के बारे में धर्म ग्रंथों में लिखा है कि-
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*न माधवसमो मासों न कृतेन युगं समम्।*
*न च वेदसमं शास्त्रं न तीर्थं गंगया समम्।।*
(स्कंदपुराण, वै. वै. मा. 2/1)
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अर्थात वैशाख के समान कोई महीना नहीं है, सत्ययुग के समान कोई युग नहीं है, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगाजी के समान कोई तीर्थ नहीं है।
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धर्म ग्रंथों के अनुसार स्वयं ब्रह्माजी ने वैशाख को सब मासों से उत्तम मास बताया है। भगवान विष्णु को प्रसन्न करने वाला इसके समान दूसरा कोई मास नहीं है। जो वैशाख मास में सूर्योदय से पहले स्नान करता है, उससे भगवान विष्णु विशेष स्नेह करते हैं। सभी दानों से जो पुण्य होता है और सब तीर्थों में जो फल मिलता है, उसी को मनुष्य वैशाख मास में केवल जलदान करके प्राप्त कर लेता है।
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धर्म ग्रंथों के अनुसार, जो इस मास में जलदान नहीं कर सकता यदि वह दूसरों को जलदान का महत्व समझाए, तो भी उसे श्रेष्ठ फल प्राप्त होता है। जो मनुष्य इस मास में प्याऊ लगाता है, वह विष्णु लोक में स्थान पाता है। ऐसा भी कहा जाता है कि जिसने वैशाख मास में प्याऊ लगाकर थके-मांदे मनुष्यों को संतुष्ट किया है, उसने ब्रह्मा, विष्णु और शिव आदि देवताओं को संतुष्ट कर लिया।

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