Monday, May 28, 2018

योग निद्रा -- . . . - कई बार हमें काम ज़्यादा रहते है और सोने का भी समय नहीं मिल पाता ; ऐसे समय योग निद्रा ले कर देखें। नींद भगाने के लिए चाय कॉफ़ी जैसे पेय पीते जाना सेहत के साथ खिलवाड़ है। - सारी रात सोने के बाद भी सुबह उठकर अगर आप थका हुआ और बोझिल महसूस करते हैं, तो आपके रात भर नींद में होने का कोई अर्थ नहीं है। - कई बार हम नींद में स्वप्न देखते रहते हैं। क्या कभी सोचा है कि एक रात में हम कितनी बार करवटें बदलते हैं? कभी गरमी लग रही, कभी मच्छर काट रहे, कभी प्यास लगी, कभी शौचालय जाना है, कभी-कभी थकान के मारे शरीर इतना अकड़ जाता है कि नींद आना मुश्किल हो जाता है। - अगर नींद आ भी जाये तो कच्ची नींद आती है, स्वप्न चलते रहते है। कभी सांस रुकने से , खर्राटों से नींद में व्यवधान आते है। फिर ज़रा आप नींद में उतरने लगते हो, इतने में उठने का अलार्म बज जाता है और आपको दिनभर के कार्य करने के लिये उठना ही पड़ता है। - सात घण्टों की नींद के बाद भी अगर आप थकान महसूस करते हैं, बोझिल महसूस करते हैं, मन चिड़चिड़ा रहता है, तो ये सारे लक्षण आपके तनाव में होने के और सही नींद ना होने के लक्षण हैं। - नींद सही ना होने से बहुत से लोगों को स्पॉण्डिलाइटिस या साइनस की समस्या रहती है। श्वास ठीक से नहीं ले पाते, ज़ुकाम बना रहता है, सिर दुखता रहता है। - अगर पढ़ते पढ़ते जोरो की नींद आ जाए तो एक झपकी ले लें। 5 -10 मि. की झपकी में ही नींद खुल जायेगी और आप तरोताजा अनुभव करेंगे। - किसी भी प्रकार के रोग या तनाव में योग निद्रा एक चमत्कारिक औषधि की तरह काम करती है। इसके अलावा योग निद्रा के निरंतर अभ्यास से आध्यात्मिक लाभ भी प्राप्त किया जा सकता है। - योग निद्रा का अर्थ है आध्यात्मिक नींद। यह वह नींद है, जिसमें जागते हुए सोना है। सोने व जागने के बीच की स्थिति है योग निद्रा। इसे स्वप्न और जागरण के बीच ही स्थिति मान सकते हैं। यह झपकी जैसा है या कहें कि अर्धचेतन जैसा है। देवता इसी निद्रा में सोते हैं। - अगर योग निद्रा के पहले तेज़ी से कपाल भाति प्राणायाम कर ले तो और भी अच्छा अनुभव होगा। - अब आराम से सीधे लेट जाएँ। चाहे तो शरीर को कम्बल से ढक लें। ज़्यादा रौशनी हो तो आँखों पर गहरे रंग का कपड़ा रखें और साँसों के ऊपर ध्यान केन्द्रित करें। - नाक में थोड़ा घी या तेल लगा लें। - जब सांस अन्दर जाए तो पेट को ऊपर उठता अनुभव करें और बाहर जाती श्वास के साथ पेट का अन्दर जाना अनुभव करें। - जो भी विचार मन में आ रहें है आने दे सिर्फ उन्हें अनुभव करते जाए उस पर कोई प्रतिक्रया ना करे। - फिर पैर के अंगूठे से शुरू कर सर की तरफ एक एक अंग पर ध्यान केन्द्रित कर उस अंग को शिथिल करते जाएँ और श्वास द्वारा अर्जित प्राणों की ऊर्जा उस तक पहुँच कर उसे रोग रहीत कर उर्जा दे रही है ऐसा अनुभव करें। - इस तरह अपने अन्दर की यह यात्रा आप चाहे जितने समय करें। - फिर धीरे धीरे आँखें खोल कर पैर के अंगूठे को हिलाएं , हाथों की उँगलियों को हिलाएं और फिर हाथों को ऊपर खिंच कर शरीर को सक्रीय कर लें। - सीधे या दाहिने हाथ की और करवट ले कर उठे; हाथों को रगड़ कर पुरे शरीर में हलकी मालिश करते जाएँ। - अर्जुन का एक नाम गुडाकेश भी है क्योंकि उन्होंने इसी तरीके से निद्रा पर विजय प्राप्त कर ली थी। - इस विधि से 10 से तीस मिनट तक योगनिद्रा का अभ्यास करने पर सात से आठ घंटे की गहरी नींद के बराबर विश्राम प्राप्त होता है। - भावातीत ध्यान विज्ञान संस्थान ने इस विषय पर एक शोध किया है। संस्थान के निदेशक डा. स्वामी सत्यशरण ने कहा है कि योगनिद्रा का लाभ उठाने के लिए कम से कम तीन सप्ताह का अभ्यास जरूरी है। - स्वामी विवेकानंद की पुस्तक राजयोग में और महर्षि पतंजलि ने योगसूत्र में स्पष्ट कहा है कि शांति और कैवल्य के लिए पहले अंतरंग जीवन को ठीक करना चाहिए।

योग निद्रा --
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- कई बार हमें काम ज़्यादा रहते है और सोने का भी समय नहीं मिल पाता ; ऐसे समय योग निद्रा ले कर देखें। नींद भगाने के लिए चाय कॉफ़ी जैसे पेय पीते जाना सेहत के साथ खिलवाड़ है।
- सारी रात सोने के बाद भी सुबह उठकर अगर आप थका हुआ और बोझिल महसूस करते हैं, तो आपके रात भर नींद में होने का कोई अर्थ नहीं है।
- कई बार हम नींद में स्वप्न देखते रहते हैं। क्या कभी सोचा है कि एक रात में हम कितनी बार करवटें बदलते हैं? कभी गरमी लग रही, कभी मच्छर काट रहे, कभी प्यास लगी, कभी शौचालय जाना है, कभी-कभी थकान के मारे शरीर इतना अकड़ जाता है कि नींद आना मुश्किल हो जाता है।
- अगर नींद आ भी जाये तो कच्ची नींद आती है, स्वप्न चलते रहते है। कभी सांस रुकने से , खर्राटों से नींद में व्यवधान आते है। फिर ज़रा आप नींद में उतरने लगते हो, इतने में उठने का अलार्म बज जाता है और आपको दिनभर के कार्य करने के लिये उठना ही पड़ता है।
- सात घण्टों की नींद के बाद भी अगर आप थकान महसूस करते हैं, बोझिल महसूस करते हैं, मन चिड़चिड़ा रहता है, तो ये सारे लक्षण आपके तनाव में होने के और सही नींद ना होने के लक्षण हैं।
- नींद सही ना होने से बहुत से लोगों को स्पॉण्डिलाइटिस या साइनस की समस्या रहती है। श्वास ठीक से नहीं ले पाते, ज़ुकाम बना रहता है, सिर दुखता रहता है।
- अगर पढ़ते पढ़ते जोरो की नींद आ जाए तो एक झपकी ले लें। 5 -10 मि. की झपकी में ही नींद खुल जायेगी और आप तरोताजा अनुभव करेंगे।
- किसी भी प्रकार के रोग या तनाव में योग निद्रा एक चमत्कारिक औषधि की तरह काम करती है। इसके अलावा योग निद्रा के निरंतर अभ्यास से आध्यात्मिक लाभ भी प्राप्त किया जा सकता है।
- योग निद्रा का अर्थ है आध्यात्मिक नींद। यह वह नींद है, जिसमें जागते हुए सोना है। सोने व जागने के बीच की स्थिति है योग निद्रा। इसे स्वप्न और जागरण के बीच ही स्थिति मान सकते हैं। यह झपकी जैसा है या कहें कि अर्धचेतन जैसा है। देवता इसी निद्रा में सोते हैं।
- अगर योग निद्रा के पहले तेज़ी से कपाल भाति प्राणायाम कर ले तो और भी अच्छा अनुभव होगा।
- अब आराम से सीधे लेट जाएँ। चाहे तो शरीर को कम्बल से ढक लें। ज़्यादा रौशनी हो तो आँखों पर गहरे रंग का कपड़ा रखें और साँसों के ऊपर ध्यान केन्द्रित करें।
- नाक में थोड़ा घी या तेल लगा लें।
- जब सांस अन्दर जाए तो पेट को ऊपर उठता अनुभव करें और बाहर जाती श्वास के साथ पेट का अन्दर जाना अनुभव करें।
- जो भी विचार मन में आ रहें है आने दे सिर्फ उन्हें अनुभव करते जाए उस पर कोई प्रतिक्रया ना करे।
- फिर पैर के अंगूठे से शुरू कर सर की तरफ एक एक अंग पर ध्यान केन्द्रित कर उस अंग को शिथिल करते जाएँ और श्वास द्वारा अर्जित प्राणों की ऊर्जा उस तक पहुँच कर उसे रोग रहीत कर उर्जा दे रही है ऐसा अनुभव करें।
- इस तरह अपने अन्दर की यह यात्रा आप चाहे जितने समय करें।
- फिर धीरे धीरे आँखें खोल कर पैर के अंगूठे को हिलाएं , हाथों की उँगलियों को हिलाएं और फिर हाथों को ऊपर खिंच कर शरीर को सक्रीय कर लें।
- सीधे या दाहिने हाथ की और करवट ले कर उठे; हाथों को रगड़ कर पुरे शरीर में हलकी मालिश करते जाएँ।
- अर्जुन का एक नाम गुडाकेश भी है क्योंकि उन्होंने इसी तरीके से निद्रा पर विजय प्राप्त कर ली थी।
- इस विधि से 10 से तीस मिनट तक योगनिद्रा का अभ्यास करने पर सात से आठ घंटे की गहरी नींद के बराबर विश्राम प्राप्त होता है।
- भावातीत ध्यान विज्ञान संस्थान ने इस विषय पर एक शोध किया है। संस्थान के निदेशक डा. स्वामी सत्यशरण ने कहा है कि योगनिद्रा का लाभ उठाने के लिए कम से कम तीन सप्ताह का अभ्यास जरूरी है।
- स्वामी विवेकानंद की पुस्तक राजयोग में और महर्षि पतंजलि ने योगसूत्र में स्पष्ट कहा है कि शांति और कैवल्य के लिए पहले अंतरंग जीवन को ठीक करना चाहिए।

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