Friday, March 29, 2019

एक गुरूजी अपने शिष्यों से 1 ही बात कहते थे- कण कण में भगवान हैं, ऐसी कोई वस्तु और स्थान नही जहां भगवान न हो। अतः संसार में मौजूद प्रत्येक वस्तु को भगवान मान कर उसे नमन करना चाहिए। यही उनकी शिक्षा का निचोड़ था।* *एक दिन उनका एक शिष्य बाजार से हो कर कहीं जा रहा था। तभी उसने देखा कि रास्ते में सामने से एक हाथी बड़ी तेजी से दौड़ता हुआ आ रहा है। महावत लगातार चिल्ला रहा था- हट जाओ, हट जाओ। हाथी पागल हो गया है। शिष्य को गुरु की बात आ गई और वो वहीं खड़ा रहा।* *शिष्य ने सोचा- मेरी तरह हाथी में भी भगवान का वास है। भगवान को भगवान से कैसा डर? उसने सोचा और पूर्ण भक्ति और प्रेम भाव से रास्ते के बीच डटा रहा।* *यह देख कर महावत जोर से चिल्लाय- हट जाओ, क्यों मरना चाहते हो। पर शिष्य अपनी जगह से एक इंच भी इधर-उधर नही हुआ। फिर वही हुआ जो होना था। पागल हाथी ने शिष्य को उठाकर एक तरफ फेंक दिया। बेचारा घायल शिष्य होकर कराहता रहा।* *उसे अधिक पीड़ा इस बात की थी कि भगवान ने भगवान को क्यों मारा? उसके सहपाठी उसे उठा कर आश्रम मे ले गए। उसने गुरु से कहा- आप तो कहते हैं कि प्रत्येक वस्तु में भगवान है। देखो, हाथी ने मेरी कैसी दुर्गति की है।* *गुरु ने कहा- यह ठीक है कि प्रत्येक जीव में भगवान है, निश्चित ही हाथी में भी भगवान का वास है पर महावत में भी तो भगवान है। तुमने उसकी बात क्यों नही सुनी? शिष्य को अपनी गलती समझ में आ गई।* *लाइफ मैनेजमेंट* *हम अनेक समस्याओं का समाधान भगवान पर छोड़ देते हैं, जबकि थोड़ा दिमाग लगाकर हम स्वयं ही उन परेशानियों का हल ढूंढ सकते हैं। जरूर नहीं कि हर जगह किताबी ज्ञान का सहारा लिया जाए। कुछ जगह प्रेक्टिकल भी होना पड़ता है।* 🌷🌻🌷🌻🌷🌻🌷🌻🌷

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