Friday, November 2, 2018

कलावा बांधने के कई पीछे ऐसे वैज्ञानिक कारण हैं जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे।

रक्षा सूत्र -

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कलावा बांधने के कई पीछे ऐसे वैज्ञानिक कारण हैं जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे।

आपने देखा होगा कि लोग पूजा-पाठ और शुभ अवसरों पर कलाई में मौली यानी कलावा बांधते हैं। आपने सोचा है कि इसके पीछे क्या कारण हो सकता है।

अगर आप यह मानते है कि यह धार्मिक कारणों से होता है तो आप आधी-अधूरी जानकारी रखते हैं। असल में कलावा बांधने के कई पीछे ऐसे वैज्ञानिक कारण हैं जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे।

कलावा बांधने की परंपरा ऐसे शुरु हुई

वैज्ञानिक करणों पर बात करने से पहले आइये बात करते हैं इसके कुछ धार्मिक पहलुओं पर। शास्त्रों के अनुसार कलावा यानी मौली बांधने की परंपरा की शुरुआत देवी लक्ष्मी और राजा बलि ने की थी।

कलावा को रक्षा सूत्र भी कहा जाता है, माना जाता है कि कलाई पर इसे बांधने से जीवन पर आने वाले संकट से रक्षा होती है।

इसका कारण यह है कि कलावा बांधने से ब्रह्मा, विष्णु और महेश त्रिदेव की कृपा प्राप्त होती है। सरस्वती, लक्ष्मी और पार्वती की अनुकूलता का भी लाभ मिलता है।

गंभीर रोगों से रक्षा करता है कलावा ........

शरीर विज्ञान के अनुसार शरीर के कई प्रमुख अंगों तक पहुंचने वाली नसें कलाई से होकर गुजरती है।

कलाई पर कलावा बांधने से इन नसों की क्रिया नियंत्रित रहती है। इससे त्रिदोष यानी वात, पित्त और कफ का सामंजस्य बना रहता है।

माना जाता है कि कलावा बांधने से रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह और लकवा जैसे गंभीर रोगों से काफी हद तक बचाव होता है।

कब कैसे धारण करें कलावा .......

शास्त्रों के अनुसार पुरुषों एवं अविवाहित कन्याओं को दाएं हाथ में कलावा बांधना चाहिए। विवाहित स्त्रियों के लिए बाएं हाथ में कलावा बांधने का नियम है।

कलावा बंधवाते समय जिस हाथ में कलावा बंधवा रहे हों उसकी मुट्ठी बंधी होनी चाहिए और दूसरा हाथ सिर पर होना चाहिए।

पर्व त्योहार के अलावा किसी अन्य दिन कलावा बांधने के लिए मंगलवार और शनिवार का दिन शुभ माना जाता है। Prasad Davrani

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